श्री अन्न पर दो दिवसीय सम्मेलन और प्रदर्शनी का आयोजन

देहरादून। पीएचडीसी उत्तराखंड चैप्टर ने कृषि विभाग उत्तराखंड सरकार और नाबार्ड के सहयोग से उत्तराखंड में श्री अन्न पर दो दिवसीय सम्मेलन और प्रदर्शनी का आयोजन किया। कॉन्क्लेव के पहले दिन की शुरुआत पीएचडीसी उत्तराखंड चैप्टर के चेयरमैन हेमंत कोचर के स्वागत भाषण से हुई। कैबिनेट मंत्री चंदन रामदास के आकस्मिक निधन के कारण मुख्य अतिथि कृषि मंत्री गणेश जोशी कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सके।
मुख्य अतिथि वी के बिष्ट सीजीएम नाबार्ड उत्तराखंड के सम्बोधन से कॉन्क्लेव का शुभारंभ हुआ। वी.के. बिष्ट, मुख्य महाप्रबंधक, नाबार्ड ने अपने उद्घाटन भाषण में राज्य में बाजरा के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने नाबार्ड के तहत विभिन्न योजनाओं और करने की इच्छा के बारे में सदन को बताया बाजरा मूल्य श्रृंखला के विकास से संबंधित निधि परियोजनाएं। उन्होंने बाजरा मूल्य श्रृंखला के विकास में विभिन्न मुद्दों और चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला और सदस्यों, प्रतिभागियों से बाजरा मूल्य श्रृंखला के विकास के लिए अल्पकालिक और दीर्घकालिक रणनीतियों के साथ आने का अनुरोध किया। उन्होंने विभिन्न हितधारकों का ध्यान आकर्षित कियाप् निदेशक, भाकृअनुप-वीपीकेएएस डॉ. लक्ष्मी कांत ने भी पोषण गुणों का विवरण देते हुए एक प्रस्तुति दी। बाजरा की संख्या, राज्य में बढ़ते बाजरा की उपयुक्तता और मुद्दों पर भी प्रकाश डाला बार्नयार्ड मिलेट एवं कुट्टू के बीज की उपलब्धता एवं उपलब्धता के संबंध में प्रसंस्करण बुनियादी ढांचा बनाने पर जोर दिया। श्री बी.पी. नौटियाल, रिटा. महाप्रबंधक, नाबार्ड ने बकव्हीट जैसी फसलों पर ध्यान केंद्रित करके राज्य में कृषि को व्यवहार्य बनाने के लिए अपने विचार साझा किए, जो कि सबसे महंगी वस्तु है। उन्होंने विभिन्न कार्य योजनाओं का भी सुझाव दिया जिन्हें बढ़ाने के लिए अपनाया जा सकता है। स्पीकर डॉ. प्रयाग जुयाल ने उत्तराखंड में जैविक खेती के महत्व पर विचार-विमर्श किया। डॉ. संजय अग्रवाल, डीन डॉल्फिन कॉलेज ने श्री अन्न के अंतरराष्ट्रीय वर्ष से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर बात की।