’पुस्तकें समाज की निर्माताः पद्मश्री डॉ. बी.के.एस. संजय

देहरादून । नई दिल्ली के प्रगति मैदान में 25 फरवरी से 5 मार्च तक विश्व पुस्तक मेला आयोजित किया जा रहा है, जिसका उद्घाटन केंद्रीय राज्य शिक्षा मंत्री राजकुमार रंजन, निदेशक एन.बी.टी. युवराज मलिक, फ्रांस के राजदूत इमैनुएल लेनिन और नोबेल पुरस्कार विजेता ऐनी एर्नेक्स ने किया। डॉ. भूपेन्द्र कुमार सिंह संजय ने उद्घाटन समारोह में भाग लिया। विश्व पुस्तक मेला 2023 में वाणी प्रकाशन ग्रुप (वाणी प्रकाशन और भारतीय ज्ञानपीठ) से प्रकाशित वरिष्ठ कवि डॉ. भूपेन्द्र कुमार सिंह संजय का कविता संग्रह ‘उपहार संदेश का’ लोकार्पण व परिचर्चा का आयोजन वाणी प्रकाशन ग्रुप के ‘साहित्य घर’ (हाल सं. 2) प्रगति मैदान, नयी दिल्ली में आयोजित किया गया। एन.बी.टी. के ट्रस्टी, प्रो. योगेंद्र नाथ शर्मा अरुण ने कहा, कि पुस्तक का शीर्षक ही बताता है कि यह कवि की ओर से समाज को संदेश है। डॉ. संजय एक विश्व प्रसिद्ध ऑर्थोपीडिक सर्जन भी हैं, जिन्हें समाज के प्रति निःस्वार्थ सेवा करने के लिए, उनकी करुणा और उत्साह के लिए पद्म से सम्मानित किया जा चुका है। कवि का जो अनुभव है वह उनकी कविताओं जैसे कि ”अनुभव”, ”दादी कभी बूढ़ी नहीं होगी”, ”कोख से कब्र तक” एवं अन्य में भलि-भांति परिलक्षित हुआ है।

दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज के प्रो. डॉ. श्रीनिवास त्यागी ने कहा कि पूरे समाज में संवाद की कमी है। किसी भी संवाद को नमस्कार से शुरू किया जा सकता है जो कविता ”नमस्कार” और ”गांठें” में भी दर्शाया गया है। यह कविता संग्रह कवि के द्वारा समाज को एक संदेश है जिसमें पहली कविता में ही कवि ने प्रश्न किया है कि यदि कविता पाठकों की सोच को नहीं बदल सकी तो कविता कहां है, बल्कि एक निरर्थक रचना है।
जाने-माने वरिष्ठ लेखक, संपादक और आलोचक जनार्दन मिश्र ने कहा कि एक डॉक्टर हो और वह भी एक सर्जन हो और इसके अतिरिक्त कवि हो ऐसे उदाहरण विरले ही होते हैं। ऐसे कई डॉक्टर नहीं हैं जो एक कवि भी हैं लेकिन ऐसे ही एक डॉक्टर हैं पद्मश्री डॉ. बी. के. एस. संजय। मैं पहले ही उनके काव्य संग्रह ”उपहार संदेश का” की समीक्षा कर चुका हूँ। डॉ. संजय ने बचपन में कई बाधाओं का सामना किया है लेकिन अपनी कड़ी मेहनत, समर्पण और दृढ़ता से उनका सामना करते हुए इस मुकाम पर पहुंचे। आज का यह कार्यक्रम इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है।
गार्गी कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. विजय कुमार मिश्रा ने कहा कि स्वस्थ और खुशहाल समाज के लिए संवाद की आवश्यकता है जिसे कवि के द्वारा पुस्तक की प्रस्तावना और कविता ”संवाद” में बहुत अच्छी तरह से दर्शाया गया है। उनके इस काव्य संग्रह की कविता ”पुस्तकें” जिसमें कवि ने पुस्तक के महत्व के बारे में पाठकों को एक संदेश दिया है जो कि इस विश्व पुस्तक मेले के दौरान बहुत प्रासंगिक है। कवि का मानना है कि किताबें समाज की निर्माता हैं जो आप पढ़ते हैं वही आप बनते हैं। लेखिका, स्तंभकार और राज्यसभा की संपादक, डॉ. दर्शनी प्रिया ने कहा कि डॉ. संजय की कविताएं जैसे ”कोख से कब्र तक”, ”माँ मुझे न जनना”, ”अक्षर” और ”प्रसव वेदना” समाज में प्रचलित लैंगिक भेदभाव का खंडन करती हैं और महिलाओं के प्रति कवि की संवेदनाओं को दर्शाती हैं। डॉ. संजय ने वाणी प्रकाशन के प्रकाशक अरुण माहेश्वरी और भारतीय ज्ञानपीठ के ट्रस्टी अखिलेश जैन का उनकी प्रथम काव्य संग्रह प्रकाशित करने के लिए आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन वाणी प्रकाशन के वरिष्ठ लेखक अशोक मिश्र ने किया। पदमश्री डॉ. भूपेंद्र कुमार सिंह संजय की रचनाओं का स्वर बेहद मानवीय है। सर्जन के रूप में जितनी पीड़ा वह अपने रोगी की महसूस करते हैं उसी भावना को उन्होंने अपनी कविताओं में उकेरा है। विमोचन में डॉक्टर साहब ने संग्रह से अपनी कविता फैलाव के वाचन उपरांत धातु का उदाहरण देते हुए बताया कि पिटकर फैलना उसका गुण है। इसी प्रकार हम जितने संघर्षशील रहते हैं उतने ही फैलाव की ओर बढ़ते हैं।