धामी ने कायम की संवेदनशीलता की मिशाल
हरीश चमोली
देहरादून। यूं तो बारिश के दिन उत्तराखण्डवासियों के लिए हमेशा से कठिन रहे हैं, लेकिन इस बार ये दुश्वारियां कुछ ज्यादा ही परेशानी कारक साबित हुई। पहले उत्तरकाशी के धराली में कुदरत ने कहर बरपा और फिर चमोली के थराली में प्राकृतिक आपदा ने रौद्र रूप दिखाया। लेकिन इस विपदा की घड़ी में लोगों के जख्मों पर मरहम लगाने प्रदेश के मुखिया पुष्कर सिंह धामी न केवल उन इलाकों में गए, बल्कि उन्होने लोगों की पीड़ा को दूर करने के लिए हर संभव प्रयास किये। इस क्रम में पहले उन्होंने धराली क्षेत्र का दौरा किया और वहीं डेरा डाले रहे और राहत व बचाव कार्यो की वहीं से मॉनिटरिंग की। इस बीच वहां सरकारी अमला युद्वस्तर पर राहत एवं बचाव कार्यो में जुटा रहा और लोगों को फौरी राहत पंहुचाई गई। वे वहां पीड़ितों से मिले और उन्हें भरोशा दिलाया कि वे उनके दुख में उनके साथ खडे़ हैं।
आपदा इस प्रदेश की नियति रहा है, लेकिन मुख्यमंत्री बहुत ही संवेदनशील तरीके से इस विपदा को हरने में जुटे हुए हैं। बारिश अभी अपना रौद्र रूप दिखा ही रही है, लेकिन प्रदेश के मुख्यमंत्री विभिन्न इलाकों में जा कर उनकी व्यथा सुन उनकी हर संभव मदद कर रहे हैं। यही वजह रही कि इस भयंकर आपदा के दौरान लोगों ने अपना हौसला नहीं खोया। उन्होंने जहां लोगों को शीघ्र सहायता पंहुचायी, वहीं अधिकारियों को पुनर्वास के लिए कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री की इस शानदार मुहिम की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी सराहना की। प्रधानमंत्री ने जब पीड़ितों से मुलाकात की और उनके दर्द को सुना तो तब लोगों से भी मुख्यमंत्रा के प्रयासों और विपिदा में उनकी संवेदनशीलता की प्रशंसा की गई। यह पहली बार रहा कि किसी मुंख्यमंत्री ने आपदा ग्रस्त इलाकों में रात बिताई और पीड़ितों के साथ कंधा से कंधा मिलाकर कुदरत की कहर को नाकाम किया। आज प्रदेश में फिर से लोगों में ये उमीद बंधी है कि मुसिबत में मुख्यमंत्री उनके साथ खडे़ हैं। और इसी का परिणाम है कि प्रदेश की जनता ही नहीं, पूरे देश में इस समय मुख्यमंत्री धामी के कार्यो की सराहना की जा रही है। उन्होंने जिस तरीके से इस आपदा को हेंडिल किया वह काबिलेतारीफ है। उनकी इन कोशिश का नतीजा रहा कि केंद्र से 1200 करोड़ की त्वरित सहायता मिली और आपदा क्षेत्रों के आकलन के बाद अतिरिक्त राशि मिलने का भी भरोसा मिला है। दरअसल यह पहली बार हुआ कि आपदा पीडितों ने किसी मुख्यमंत्री की खुले दिल से प्रशंसा की। क्योंकि यह प्रदेश आपदा को लेकर हमेशा से चर्चाओं में रहा और राहत कार्यां से लेकर आपदा राशि के उपयोग के मामले में भी यहां कई किस्से मशहूर रहे। लेकिन अब बीती ताहि बिसारी दे की तर्ज पर चलें, तो यह प्रदेश के लिए एक कठिन घड़ी के साथ ही अपने पैरों पर पुनः खड़े होने का वक्त है और जब प्रदेश का मुखिया इतना जुझारू और संघर्षशील हो तो तब ये मुश्किल काम भी हो जाएगा, ऐसी उम्मीद लोगों में बन गई है।