देहरादून। सचिव, संस्कृत शिक्षा, उत्तराखंड शासन दीपक कुमार की अध्यक्षता में डॉ. प्रकाश चंद्र पंत एवं डॉ. सुमन प्रसाद भट्ट, उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय, हरिद्वार ने विदेश मंत्रालय, भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ नई दिल्ली स्थित उनके कार्यालय में एक उच्च स्तरीय बैठक की। इस बैठक का उद्देश्य उत्तराखंड राज्य के संस्कृत विद्यार्थियों को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर रोजगार एवं शोध अवसरों से जोड़ने की दिशा में ठोस कार्ययोजना बनाना था।
बैठक के प्रथम चरण में पी. कुमारन, विदेश सचिव (पूर्व), विदेश मंत्रालय, भारत सरकार से भेंट की गई। इस दौरान विश्व के पूर्वी देशों में संस्कृत भाषा की वर्तमान स्थिति एवं भविष्य की संभावनाओं पर गहन विचार-विमर्श किया गया। चर्चा का मुख्य केंद्रबिंदु यह था कि किस प्रकार से संस्कृत को एक व्यावसायिक भाषा के रूप में स्थापित कर उत्तराखंड के विद्यार्थियों के लिए रोजगार के नए द्वार खोले जा सकते हैं।
तत्पश्चात श्रीमती नीना मल्होत्रा, विदेश सचिव (दक्षिण), विदेश मंत्रालय, भारत सरकार से भी बैठक संपन्न हुई। सचिव संस्कृत शिक्षा ने उन्हें उत्तराखंड सरकार द्वारा संस्कृत के प्रचार-प्रसार हेतु किए जा रहे कार्यों से अवगत कराया। साथ ही उन्होंने अनुरोध किया कि विश्व के उन देशों की सूची साझा की जाए जहां संस्कृत के प्रति रुचि बढ़ रही है, ताकि इन देशों में उत्तराखंड के योग्य संस्कृत विद्यार्थियों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जा सकें।
दोनों सचिवों द्वारा सुझाव दिया गया कि संबंधित देशों के राजदूतों/उच्चायुक्तों से औपचारिक मांग हेतु एक अनुरोध पत्र विदेश मंत्रालय को शीघ्र प्रेषित किया जाए।
श्रीमती नीना मल्होत्रा ने यह भी अवगत कराया कि 24-25 नवंबर, 2025 को कुरुक्षेत्र डेवलपमेंट बोर्ड द्वारा आयोजित “अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव” में विभिन्न देशों के संस्कृत विद्वान भाग लेंगे। उन्होंने सुझाव दिया कि इसी अवसर का उपयोग करते हुए उत्तराखंड सरकार एवं उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय द्वारा नवंबर 2025 में एक अंतरराष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलन आयोजित किया जा सकता है।
इस अवसर पर विदेश मंत्रालय द्वारा विदेशी विद्वानों के आवागमन व्यय का वहन किया जाएगा, जबकि स्थानीय व्यवस्थाओं का खर्च विश्वविद्यालय द्वारा वहन किया जाएगा। इस सम्मेलन से उत्तराखंड के संस्कृत विद्यार्थियों को अंतरराष्ट्रीय संस्कृत विद्वानों से सीधा संवाद स्थापित करने का अवसर मिलेगा, जिससे उनकी वैश्विक दृष्टि विकसित होगी।
विदेश सचिव (दक्षिण) ने आग्रह किया कि इस विषय में एक विस्तृत प्रस्ताव शीघ्र विदेश मंत्रालय को भेजा जाए ताकि विदेशी अतिथियों को समय रहते आमंत्रित किया जा सके।
सचिव संस्कृत शिक्षा, दीपक कुमार ने इस प्रस्ताव पर सहमति जताते हुए शीघ्र ही प्रस्ताव भेजने का आश्वासन दिया।
बैठक के समापन से पूर्व सचिव दीपक कुमार द्वारा कार्यक्रम क्रियान्वयन विभाग, उत्तराखंड शासन द्वारा प्रकाशित ‘मेरी योजना’ नामक पुस्तक दोनों सचिवों को भेंट की गई। यह पुस्तक राज्य एवं केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं की जानकारी एक स्थान पर प्रदान करती है, जो नीति निर्धारण में सहायक सिद्ध हो सकती है।
यह बैठक उत्तराखंड राज्य में संस्कृत शिक्षा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। इससे न केवल संस्कृत छात्रों को रोजगार एवं शोध के अवसर मिलेंगे, बल्कि भारत की प्राचीन भाषा संस्कृत को भी वैश्विक मंच पर सशक्त रूप से प्रस्तुत किया जा सकेगा।

