देहरादून। बात महज चंपावत की नहीं,बल्कि उस रणनीति की भी है जिसने भाजपा को उत्तराखंड में अजेय बना दिया। कुछ मिथक टूटे तो कुछ तारीखे राज्य में एतिहासिक बन गई।
ऐसे में टीम भाजपा संगठन की बात हो तो चर्चा संगठन महामंत्री अजेय कुमार के बिना अधूरी ही लगती है। अजय कुमार इससे पहले पार्टी को दो उप चुनाव लड़ा चुके हैं और दोनों ही सीटों पर पार्टी बड़े अंतर से जीती। इन सीटों में अल्मोड़ा और सल्ट उप चुनाव रहे। लेकिन उनकी असली परीक्षा 2022 का आम चुनाव था। उसमें चुनौतियां अधिक थी और मिथक भी जुड़ा हुआ था। विपक्ष के द्वारा सीएम बदलने को लेकर तमाम तरह के आरोप प्रत्यारोप तथा उतराखंड में सरकार के रिपीट न होने का मिथक साथ चल रहा था। लेकिन संगठन की नाव के पतवार बने अजेय ने कार्यकर्ताओ के बीच ऐसा समन्वय बनाया कि विपक्ष के लिये कोई गुंजाइश नहीं बची। खामोशी से कार्यकर्त्ताओं के बीच जाकर, गावं गावं प्रवास, कार्यक्रमों के जरिये सरकार और आम कार्यकर्ताओं के बीच संवाद कायम करने की कोशिश में सफल अजेय ने आखिरकार चंपावत में भाजपा की जीत को कई गुना कर एतिहसिक बना दिया। सरल,विनम्र और बहुत शालीन स्वभाव के कार्यकर्ताओ के लिए हर समय उपलब्ध रहने वाले अजेय कुमार आज संगठन मे शांत और युवाओ के लिये जोशीले नेता के तौर पर जाने जाते हैं। किसी योजना पर काम शुरू करने को लेकर जब क्रियान्वयन की बात हो तो अग्रिम पंक्ति मे नज़र आते हैं। बताया जाता हैं कि चंपावत पर पार्टी मे सहमति बनी तो घोषणा से पहले ही उन्होंने चंपावत में कैम्प कर लिया था। पूरा फीड बैक विधान सभा का लिया और फिर कार्यकर्ताओं के बीच कूच कर गये। बताया जाता हैं कि इतनी बड़ी जीत में पन्ना प्रमुख और बूथ लेबल मैनेजमेंट प्रमुख रहा। हर बूथ में गहन समीक्षा, वार्ड स्तर से लेकर मंडल स्तर तक कर्यकर्ताओ को दिशा निर्देश और नजदीक से नज़र बनाये रहे। और तब तक मैदान मे डटे रहे जब तक आखिरी वोट पड़ गई।
चंपावत उप चुनाव का जब परिणाम आया तो भाजपा मुख्यालय मे कार्यकर्ताओ ने कंधो पर उठा लिया।
विनम्रता से बोले कि संगठन की मेहनत और मुख्यमन्त्री पुष्कर धामी को लेकर जनता में उत्साह को बड़ी जीत का कारण रहे। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि देश भर मे कांग्रेस मुक्त भारत का जो वातावरण उसका असर भी दिख रहा है।