देवस्थानम बिल को राजभवन की मंजूरी, तीर्थ पुरोहितों को रखा जायेगा पूरी तरह सुरक्षित 

देहरादून। बीते माह दिसम्बर में शीतकालीन सत्र के दौरान सरकार जिस देव स्थानम बिल को सदन में लाई थी अब उस पर राजभवन की मोहर लगने के बाद यह एक्ट अस्तित्व में आ गया है। राज्य में अब चार धाम यात्रा का समस्त संचालन व्यवस्था को चार धाम देवस्थान बोर्ड द्वारा किया जायेगा। राज्यपाल बेबी रानी मौर्य द्वारा इस बिल पर हस्ताक्षर कर दिये गये है। इसके साथ ही अब चारधाम यात्रा संचालन मेें व्यवस्था परिवर्तन तय हो गया है। सरकार बीते दिसम्बर के शीतकालीन सत्र में इस बिल का पास करा चुकी है। राज्यपाल की मंजूरी के बाद अब यह नया एक्ट अस्तित्व में आ गया है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने चारधाम देवस्थान एक्ट के प्रभावी होने पर खुशी जताते हुए कहा है कि अब चारधाम यात्रा की व्यवस्थाओं में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। यात्री सुविधाओं को भी पहले से बेहतर बनाया जा सकेगा। माता वैष्णो देवी मन्दिर के श्राइन बोर्ड की तर्ज पर चारधाम यात्रा के संचालन की व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए सरकार द्वारा जब एक बोर्ड के गठन की पहल की गयी थी तो राज्य के तीर्थ पुरोहितों और पुजारियों द्वारा इसके खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया गया था। उनका कहना था कि पीढ़ियों से इस यात्रा से उनके हक हकूक और रोजगार जुड़ा है जिसे सरकार खत्म कर देना चाहती है। लेकिन सरकार ने उन्हे भरोसा दिलाया है कि उनके हित प्रभावित नहीं होने दिये जायेंगे। विरोध के बीच सरकार इस बिल को विधानसभा से पारित करा चुकी है इसे अस्तित्व में आने के लिए सिर्फ राज्यपाल के मंजूरी की जरूरत थी। राज्यपाल बेबी रानी मौर्य के इस बिल पर हस्ताक्षर करने के साथ ही अब यह एक्ट अस्तित्व में आ गया है। चारधाम देवस्थानम एक्ट के अंदर राज्य के सभी चारधाम सहित कुल प्रसिद्ध 51 मन्दिरों को शामिल किया गया है। जिनकी यात्रा व्यवस्था तथा खर्च और आय का हिसाब किताब इस नये नियम के अनुसार होगा। चारधाम देवस्थानम बोर्ड का स्वरूप अब सरकार को तय करना है जो आगामी चारधाम यात्रा सीजन से लागू हो जायेगा। तीर्थ पुरोहितों को रखा जायेगा पूरी तरह सुरक्षित देवस्थानम विधेयक को राजभवन से मंजूरी मिलने के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मंगलवार को मीडिया से वार्ता करते हुए बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री और इनके आसपास के मंदिरों का प्रबंधन चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के नियंत्रण में रहेगा लेकिन इनसे जुड़े पुजारी, न्यासी, तीर्थ, पुरोहितों, पंडों और हकहकूकधारियों को वर्तमान में प्रचलित देव दस्तूरात और अधिकार यथावत रहेंगे। मुख्यमंत्री  त्रिवेन्द्र कहा कि जब हम कोई भी सुधार करते हैं तो उसकी प्रतिक्रिया होती ही है। उन्होंने कहा कि इस सम्बन्ध में तीर्थ पुरोहितों के हितों को पूरी तरह सुरक्षित रखा जायेगा। उन्होंने कहा प्रदेश के चार धाम सहित अन्य धार्मिक स्थलों पर देश-विदेश से हिन्दु श्रद्धालु आना चाहते हैं, हमें अच्छे आतिथ्य के रूप में जाना जाता है। देश-विदेश के श्रद्धालुओं को उत्तराखण्ड के धार्मिक स्थलों पर आने का मौका मिले तथा उन्हें अच्छी सुविधाएं उपलब्ध हों इसके लिए यह विधेयक लाया गया है।

रेखा बोली, तेजाब पीड़ितों को पेंशन देगी सरकार

देहरादून। तेजाब पीड़ितों को पेंशन देने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बनेगा। महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य के मुताबिक वर्तमान में कहीं भी तेजाब पीड़ितों को पेंशन की व्यवस्था नहीं है। महिला सशक्तिकरण विभाग ने हर महीने सात से दस हजार रुपये पेंशन का प्रस्ताव तैयार किया है। इस प्रस्ताव को आगामी कैबिनेट की बैठक में रखा जाएगा।
मंत्री रेखा आर्य ने बताया कि उत्तराखंड की एसिड अटैक पीड़ित महिलाएं कुछ समय पहले उनसे मिली थीं। इन महिलाओं का कहना था कि उनका सामाजिक और मानसिक उत्पीड़न हो रहा है। तेजाब हमले के बाद से सरकारी और निजी किसी भी क्षेत्र में उन्हें नौकरी देने से लोग डर रहे हैं। इससे उनकी आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो चुकी है। सरकार कोई ऐसी व्यवस्था करे जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो सके। उन्होंने कहा कि महिलाओं की इस समस्या को देखते हुए इनको पेंशन देने की योजना बनाई जा रही है। वर्तमान में राज्य में इस तरह की 11 महिलाएं हैं। प्रत्येक पीड़ित महिला को सात से दस हजार रुपये तक हर माह पेंशन देने का प्रस्ताव है। पेंशन दिए जाने से ऐसी महिलाओं को काफी हद तक मदद मिलेगी। कैबिनेट में इसे मंजूरी के बाद ही इस पर अमल हो पाएगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान में किसी भी प्रदेश में तेजाब पीड़ितों को पेंशन नहीं दी जा रही है। उत्तराखंड में यदि इसे कैबिनेट की मंजूरी मिली तो उत्तराखंड तेजाब पीड़ितों को पेंशन देने वाला देश का पहला राज्य होगा।

जलाशयों व झीलों का संवर्धन जरूरीः मुख्यमंत्री 

देहरादून, आजखबर। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने क्लस्टर आधारित खेती, वैल्यु एडिशन और जैविक उत्पादों के सर्टिफिकेशन पर विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता बताई। वर्ष 2020-21 के लिए नाबार्ड द्वारा उत्तराखण्ड की कुल ऋण सम्भाव्यता 24,656 करोड़ रूपए आंकलित की गई है। इनमें से लगभग 11,802 करोड रूपए की कृषि ऋण सम्भाव्यता है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा है कि पर्वतीय खेती के लिए सिंचाई की सुविधा पर ध्यान केंद्रित करना होगा। इसके लिए जलाशय विकसित करने हांगे। क्लस्टर आधारित खेती और जैविक उत्पादों के सर्टिफिकेशन की व्यवस्था भी किसानों की आय को बढ़ाने के लिए बहुत जरूरी है। मुख्यमंत्री एक स्थानीय होटल में नाबार्ड द्वारा आयोजित स्टेट क्रेडिट सेमिनार 2020-21 में सम्बोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड भौगोलिक विषमताओं वाला प्रदेश है। पर्वतीय खेती अधिकांशतः असिंचित है। लिफ्ट सिंचाई बहुत खर्चीली होती है। इसलिए ग्रेविटी आधारित पेयजल व सिंचाई के लिए पानी की आपूर्ति के लिए जलाशयों का निर्माण जरूरी है। सूखते जलस्त्रोतों को देखते हुए वर्षा जल संचयन महत्वपूर्ण है। नदियों के पुनर्जीवन के लिए भी जलाशय आवश्यक हैं। चाल-खाल भी बचाने होंगे। राज्य सरकार ने इस दिशा में शुरूआत की है। पिथौरागढ़, चम्पावत, अल्मोड़ा, पौड़ी, चमोली, देहरादून आदि जिलों में जलाशय व झीलें विकसित की जा रही हैं। इसका आने वाले समय में बहुत फायदा होगा। इन जलाशयों के निर्माण की फंडिंग के लिए नाबार्ड को आगे आना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों की आय को बढ़ाने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए बहुत सी कोशिशें प्रारम्भ की गई है। किसानों को व्यक्तिगत रूप से 1 लाख तक व समूह को 5 लाख तक का कृषि ऋण बिना ब्याज के उपलब्ध कराया जा रहा है। उत्पादों के वैल्यु एडिशन पर विशेष बल दिया जा रहा है। प्राकृतिक रूप से उपलब्ध फाईबर कंडाली और इंडस्ट्रीयल हैम्प आधारित उत्पादों की वैश्विक बाजार में बहुत मांग है। इनसे तैयार किए जाने वस्त्रों की अच्छी कीमत मिलती है। एरोमैटिक्स की भी उत्तराखण्ड में काफी सम्भावनाएं हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालयी राज्य उत्तराखण्ड के कृषि व संबंधित उत्पाद स्वाभाविक रूप से जैविक हैं। इनके सर्टिफिकेशन की सही तरीके से व्यवसथा करनी होगी। किसानों को भी इसकी जानकारी देनी होगी। कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार ने खेती के क्षेत्र में कई पहल की है। यही कारण है लगातार दो बार कृषि कर्मण पुरस्कार सहित पिछले 2 वर्षों में 6 पुरस्कार उत्तराखण्ड को मिले हैं। आर्गेनिक खेती में हम काफी आगे बढ़ चुके हैं। इंटीग्रेटेड एग्रीकल्चर से किसानों की आय बढ़ाई जा सकती है। खेती के साथ एलाईड सेक्टर को लेना होगा। पिछले कुछ समय में बहुत से युवाओं ने कृषि व कृषि संबंधित गतिविधियों के माध्यम से रिवर्स पलायन किया है। सरकार की योजनाओं की जानकारी आम व्यक्ति तक पहुंचानी होंगी। हॉर्टीकल्चर के लिए काश्तकारों के अल्पावधि के साथ ही मध्यम व दीर्घ अवधि के ऋण उपलब्ध कराने होंगे। पर्वतीय क्षेत्रों में नहरों की मरम्मत और जंगली जानवरों से बचाने के लिए खेतों की फेंसिंग भी जरूरी है। किसानों के उत्पाद खराब न हों, इसके लिए शीतगृहों की व्यवस्था करनी होगी। ऐसी व्यवस्था भी करनी होगी जिससे किसानों को उनके उत्पादों की अच्छी कीमत मिले। राज्य सरकार ने इसके लिए कोशिशें शुरू की हैं। घाटियों को उत्पाद विशेष की घाटी के तौर पर विकसित करने के प्रयास कर रहे हैं।
नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक सुनील चावला ने बताया कि वर्ष 2020-21 के लिए नाबार्ड द्वारा उत्तराखण्ड की प्राथमिकता क्षेत्र हेतु कुल ऋण सम्भाव्यता 24,656 करोड़ रूपए आंकलित की गई है। जबकि वर्ष 2019-20 में यह 23,423 करोड़ रूपए थी। इस वर्ष के स्टेट फोकस पेपर का विषय ‘उच्च तकनीकी से कृषि’ है। उच्च तकनीक वाली कृषि भविष्य की कृषि है जिसमें जैव विविधता और जैव-प्रौद्योगिकी द्वारा संचालित बीज रोपण सामग्री आौर अन्य बेहतर इनपुट शामिल होंगे, जो सूक्ष्म सिंचाई, पर्यावरण के अनुकूल स्वचालन और मशीनीकरण, नैनो तकनीक के उपयोग, जलवायु पूर्वानुमान, जीपीएस, रोबोट, पायलट रहित ट्रैक्टर, ड्रोन और अन्य मशीनरी और कृषि के लिए सामान्य उपकरण, संरक्षित कृषि, मृदा रहित शहरी खेती, हाईड्रोपोनिक्स, एरोपोनिक्स, एक्वापोनिक्स, किसानों की आय बढ़ाने के लिए आई-टेक ग्रीनहाउस पर बल देती है। श्री चावला ने बताया कि वर्ष 2020-21 के लिए नाबार्ड द्वारा उत्तराखण्ड की कुल ऋण सम्भाव्यता 24,656 करोड़ रूपए आंकलित की गई है। इनमें से लगभग 11,802 करोड रूपए की कृषि ऋण सम्भाव्यता है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए विभिन्न गैर सरकारी संगठनों, स्वयं सहायता समूहों, बैंकों के प्रतिनिधियों को सम्मानित किया। कार्यक्रम में स्टेट कापरेटिव बैंक के अध्यक्ष दान सिंह रावत, सचिव आर मीनाक्षी सुन्दरम, रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय निदेशक राजेश कुमार सहित विभिन्न बैंकों, एनजीओ, स्व

जब अस्पताल बीमार तो कैंसे सुधरेगी स्वास्थ्य सुविधाएं 

धनोल्टी। धनौल्टी में राजकीय स्वास्थ्य उपकेंद्र में चलने वाला एलोपैथी अस्पताल खुद बीमार है। आलम ये है कि क्षेत्र का एकमात्र अस्पताल मात्र एक जर्जर कमरे में चल रहा है। जहां स्वास्थ्य सुविधाओं का भी घोर अभाव है। ऐसे में मरीजों को इलाज के लिए मसूरी या देहरादून की अस्पतालों का रुख करना पड़ता है।  अंग्रेजों के जमाने का बसाया हुआ धनौल्टी एक कस्बा है, जो पर्यटकों की पंसद है। वहीं, आजादी के समय से यहां स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है। मात्र एक कमरे में यहां एलोपैथिक अस्पताल एकमात्र फार्मेसिस्ट के भरोसे चल रहा है। ऐसे में धनोल्टी आने वाले पर्यटकों को भी स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध नहीं हो पा रही है। जब कभी पर्यटक व स्थानीय लोगों की तबीयत खराब होती है तो उनको इस अस्पताल से कोई सुविधा नहीं मिल पाती है, जिस कारण मरीजों को मसूरी या देहरादून के अस्पतालों में जाना पड़ता है। देश विदेशों में प्रसिद्ध पर्यटक स्थल धनौल्टी में सिर्फ एक जर्जर कमरे में एलोपैथी अस्पताल में चल रहा है। स्थानीय लोगों की मांग पर धनौल्टी से 1 किलोमीटर आगे स्वास्थ्य विभाग द्वारा अस्पताल की बिल्डिंग बनाई गई लेकिन कई साल बीत जाने के बावजूद अभी तक इस बिल्डिंग में एलोपैथिक अस्पताल को शिफ्ट नहीं किया गया है। जिस कारण यहां पर आए दिन मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस अस्पताल की स्थिति ऐसी है कि 2 आदमी से ज्यादा इसे कमरे में नहीं बैठ सकते। वहीं, इस कमरे की हालात भी जर्जर बनी हुई है।

सीएम बोले, ईमानदार कोशिशों से ही सफलता सम्भव

देहरादून। उत्तराखण्ड यंग लीडर्स कान्क्लेव के दूसरे दिन छात्र-छात्राओं से संवाद करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि जीवन में सफलता के लिए ईमानदार प्रयास करने की जरूरत है। तनाव करने से कुछ हासिल नहीं होता है। हमारा अधिकार मेहनत करने पर है। बाकी ईश्वर पर छोड़ देना चाहिए। स्वामी विवेकानंद की 157वीं जयंती के अवसर पर ओएनजीसी ऑडिटॉरियम में उत्तराखण्ड यंग लीडर्स कान्क्लेव का आयोजन किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि युवाओं के चेहरे पर मुस्कुराहट से ही देश मुस्कुराएगा, आगे बढ़ेगा।
मुख्यमंत्री ने संवाद के दौरान कार्यक्रम में उपस्थित और वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से अन्य जिलों में में उपस्थित छात्र-छात्राओं के विभिन्न सवालों का जवाब दिया। पलायन पर मुख्यमंत्री ने कहा कि सीमावर्ती राज्य होने के कारण उत्तराखण्ड विशेष संवेदनशील है। राज्य सरकार ने ग्रामीण विकास एवं पलायन आयोग का गठन किया है। सीमांत 22 ब्लॉकों के लिए मुख्यमंत्री सीमांत क्षेत्र विकास योजना प्रारम्भ की गई है। युवाओं के लिए राज्य सरकार के विजन के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी सरकार के लिए युवा सबसे महत्वपूर्ण होते हैं। सरकार का ध्यान क्वालिटी एजुकेशन पर है। राज्य में बड़े संस्थान स्थापित किए जा रहे हैं। इनमें सीपैट, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी आदि प्रमुख हैं। युवाओं को अच्छी शिक्षा मिले, उनका कौशल विकास हो, उनके चेहरों पर मुस्कान रहे, यही हमारी कोशिश है। युवाओं को स्वरोजगार के लिए आगे आना चाहिए। श्रम को सम्मान देना जरूरी है। इंडिया और भारत में भेद के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इंडिया देट इज भारत नहीं बल्कि भारत देट इज इंडिया होना चाहिए। हमें अपनी संस्कृति, परम्पराओं और पुरखों पर गर्व होना चाहिए। वही देश आगे बढ़ सकता है जो कि अपने पूर्वजों का सम्मान करता हो। देश सर्वोपरि होता है। यह पूछे जाने पर कि राजनीति में नहीं आते तो क्या करते, मुख्यमंत्री ने कहा कि कभी नहीं सोचा था कि मुख्यमंत्री बनूंगा। इसके लिए कभी किसी से कहा भी नहीं। केवल अपना कर्तव्य करता गया। हमारी प्रवृत्ति मांगने की नहीं होनी चाहिए, बल्कि अपने पुरूषार्थ से हासिल करना चाहिए। अगर राजनीति में नहीं आता तो अपना ही कोई काम करता, नौकरी बिल्कुल नहीं करता।
युवाओं से कैसे जुड़ते हैं, इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रत्येक दो-तीन माह में इसी प्रकार से युवाओं की सहभागिता के कार्यक्रमों के माध्यम से युवाओं से संवाद स्थापित करते हैं। इसके अलावा युवा चाहें तो अपने सुझाव विभिन्न प्लेटफार्म द्वारा दे सकते हैं। उपयुक्त पाए जाने पर उन सुझावों को अंगीकार किया जाता है। पहाड़-मैदान की खाई को पाटने के लिए सरकार क्या कर रही है, इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के प्रत्येक जिले की प्रति व्यक्ति आय देश की औसत प्रति व्यक्ति आय से अधिक है। हालांकि मैदानी व पर्वतीय जिलों की आय में कुछ फर्क है। इसके लिए कई तरह की पहल की गई है। विकास नीति को जिला केंद्रित किया गया है। किसान समूहों को 5 लाख रूपए तक का ऋण बिना ब्याज के दिया जा रहा है। रूद्रयाग जिले में देवभोग प्रसाद योजना से स्थानीय महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वावलम्बी बनाया गया है।  प्रदेश की न्याय पंचायतों में ग्रोथ सेंटर स्थापित कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जा रहा है। पहाड़ में विकास की अपार सम्भावनाएं हैं। हमें वेल्यु एडिशन पर ध्यान देना है। फिल्म शूटिंग के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इन्वेस्टर्स समिट के समय वे मुम्बई में फिल्मकारों से मिले थे। उन्हें बताया गया कि उत्तराखण्ड ओपन एयर फिल्म स्टूडियो है। इसके बाद डेढ़ साल में बड़ी संख्या में फिल्मों, टीवी सीरियलों, डाक्यूमेंट्री की शूटिंग की गई है। सरकार फिल्म की शुटिंग के लिए आने वालों का पूरा ध्यान रखती है। हमें बेस्ट फिल्म फ्रेंडली स्टेट का अवार्ड मिला है। पर्यटन के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा पर्यटकों के साथ ऐसा व्यवहार होना चाहिए कि वे यहां से खुश होकर जाएं। पुराने हिल स्टेशन सेचुरेटेड हो चुके है। इसलिए नए टूरिज्म डेस्टीनेशन विकसित किए जा रहे हैं। टिहरी झील के लिए 1400 करोड़ रूपए स्वीकृत हुए हैं। आने वाले समय में टिहरी पर्यटन का बहुत बड़ा गंतव्य बनने जा रहा है। पिथौरागढ़ में देश का सबसे बड़ा ट्यूलिप गार्डन बनाने की परिकल्पना पर काम किया जा रहा है।
उच्च शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने कहा कि यंग लीडर कान्क्लेव में युवाओं के बीच जो मंथन हुआ एवं निष्कर्ष निकला, उस पर राज्य सरकार गम्भीरता से विचार करेगी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत प्रत्येक दो-तीन माह में युवाओं से संवाद जरूर करते हैं। हमारी युवा शक्ति को किसी भी कार्य के लिए आगे आना जरूरी है। उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि इस वर्ष 12 फरवरी से राज्य में उच्च शिक्षा में विभिन्न क्षेत्रों में सराहनीय कार्य करने वाले 05 प्रोफेसरों को डॉ. भक्त दर्शन पुरस्कार दिया जायेगा। इसके तहत 50 हजार रूपये की पुरस्कार राशि दी जायेगी। ऐसे प्रोफेसरों को एक नियुक्ति उनके मन पंसद के महाविद्यालयों में दी जायेगी।
इससे पूर्व कार्यक्रम में यंग एचीवर्स के रूप में पद्मश्री अरूणिमा सिन्हा, आईएएस मंगेश घिल्डियाल, जैविक खेती को स्टार्ट अप के रूप में अपनाने वाले विक्रमादित्य, फिल्म निर्माता रिया नायडू, म्यूजिक कम्पोजर शुभम गुप्ता व स्किल में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले सूरज ने अपने अनुभव साझा किए।
इस अवसर पर कान्क्लेव में हुए व्यापक मंथन का ड्राफ्ट मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को सौंपा गया। मानव संसाधन विकास समिति के अन्तर्गत हुई विभिन्न विषयों की चर्चा में युवाओं ने सुझाव दिये कि विद्यालयी शिक्षा में छात्रों के व्यक्तित्व विकास पर ध्यान देने की जरूरत है। छात्रों की शिक्षण संस्थानों तक पहुंच हो एवं शिक्षकों एवं छात्रों की उपस्थिति का मूल्यांकन बिना पूर्व जानकारी के हो। निजी विद्यालयों में शिक्षण शुल्क का निर्धारण किया जाय। अध्यापकों एवं छात्रों के अनुपात का दृढ़ता से पालन किया जाना चाहिए एवं संस्कृति एवं नैतिक शिक्षा जैसे विषयों का भी समावेश किया जाय। रोजगारपरक शिक्षा पर बल दिया जाय। पर्यावरण, स्वास्थ्य एवं आईटी सेक्टर की कमेटी द्वारा की गई जंगलों में लगने वाली आग को कैसे नियंत्रित किया जाय,प्रदूषण नियंत्रण के लिए जैविक एवं अजैविक कूड़े को अलग-अलग रखना, विभिन्न माध्यमों से कूड़ा एकत्रीकरण के संबंध में जागरूकता, स्कूलों में स्वच्छता प्रबंधन, स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने पर बल दिये जाने पर मंथन किया गया। इंडस्ट्रियल एवं इन्फ्रास्टक्चर से जुड़ी जरूरतों पर चर्चा के दौरान सुझाव दिये गये कि लॉजिस्टिक पर ध्यान दिया जाय। एमएसएमई के माध्यम से राज्य की तेजी से तरक्की की जा सकती है। इन्टीग्रटेट इंडस्ट्रियल पार्कों को विकसित करने पर ध्यान दिये जाने की जरूरत है। इस अवसर पर स्वामी असीम आत्मानन्द, उच्च शिक्षा उन्ननयन समिति की उपाध्यक्ष दीप्ति रावत, अपर सचिव इकबाल अहमद, विभन्न विश्वविघालयों के कुलपति उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन अदिति त्यागी ने किया।

 निशंक बोले, उत्तराखण्ड में बनेगी अटल इन्नोवेशन अकादमी

देहरादून।  केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने आज ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद द्वारा तकनीकी शिक्षा में उत्कृष्टता हेतु तीन महत्वपूर्ण पहलों को लांच किया । तकनीकी शिक्षा में शिक्षक प्रशिक्षण, मार्गदर्शन और राष्ट्रीय शैक्षिक गठबंधन प्रौद्योगिकी( NEAT) का लांच किया गया । अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के लिए कुशल मानव संसाधन तैयार करने के लिए तकनीकी शिक्षा परिषद द्वारा इन उत्कृष्ट पहलुओं का स्वागत करते हुए डॉ० निशंक ने विश्वास प्रकट किया कि इन कार्यक्रमों से तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता में व्यापक सुधार देखने को मिलेगा । इस अवसर पर ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय द्वारा 75 आशीर्वाद छात्रवृत्ति की घोषणा की गई।  डॉ० निशंक के मुख्यमंत्री काल में आशीर्वाद कौशल विकास कार्यक्रम शुरू किया गया । उन्होंने  ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय में शैक्षिक उत्कृष्टता की प्रशंसा की और उत्तराखंड में अटल नवाचार अकादमी स्थापित करने की घोषणा की । उन्होंने कहा की देवभूमि उत्तराखंड ज्ञान की भूमि है और यहां पर नवाचार अकादमी से न केवल प्रदेश बल्कि अन्य पड़ोसी राज्य भी लाभान्वित होंगे । इस अवसर पर राज्य मंत्री धन सिंह रावत, एआईसीटीई (AICTE) के अध्यक्ष अनिल सहस्त्रबुद्धे और सचिव डॉ० राजीव भी उपस्थित रहे ।

90 हजार की नगदी व चोरी मेें प्रयुक्त औजार बरामद

देहरादून। धर्मपुर स्थित दुकान में हुई चोरी का खुलासा करते हुए पुलिस ने एक चोर को चोरी किये गये माल व चोरी में प्रयुक्त औजारों सहित गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी शातिर किस्म का बदमाश है जिसने पहले भी चोरी, लूट व गैगस्टर के आरोपों में जेल की हवा खायी थी। प्राप्त जानकारी के अनुसार विगत 7 जनवरी को महेंद्र कुमार पुत्र स्व. महावीर प्रसाद निवासी धर्मपुर द्वारा 6 जनवरी की रात को अपनी दुकान से अज्ञात चोर द्वारा दुकान की छत की टिन काटकर रुपयों की मालाएं एवं गल्ले से नकदी चोरी किए जाने के संबंध में थाना नेहरू कॉलोनी पर सूचना दी थी। सूचना पर कार्यवाही करते हुए पुलिस ने तत्काल मुकदमा दर्ज कर आरोपी की तलाश शुरू कर दी।
जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि उक्त चोरी की घटना एक शातिर चोर द्वारा अंजाम दी गयी है। जो इस समय सहस्त्रधारा क्रांसिग के पास खड़ा है। सूचना पर कार्यवाही करते हुए पुलिस ने देर रात उक्त स्थान पर दबिश देकर गोपाल दत्त पोखरियाल पुत्र हरिदत्त पोखरियाल निवासी अल्मोड़ा को गिरफ्तार कर लिया। जिसकी निशानदेही पर चोरी किया गया सारा माल उसके कमरे से बरामद कर लिया गया। पूछताछ में आरोपी द्वारा बताया गया कि द्वारा बताया गया कि मैं वर्ष 2011 से 2013 के बीच कोतवाली देहरादून से कई चोरियों में जेल गया था, वर्ष 2016 में थाना सहसपुर से पेट्रोल पंप लूट में जेल गया था, थाना सहसपुर कोतवाली देहरादून में मेरे विरुद्ध चोरी, नकबजनी, गैंगस्टर के और भी मुकदमे दर्ज हैं। मैं 10 को जेल से छूट कर आया था एवं चक्खु मोहल्ला देहरादून में किराए पर रहकर स्मैक बेचने का काम कर रहा था। इस बीच मैंने छोटी मोटी चोरियां भी की। स्मैक के काम में ज्यादा सजा व रिस्क होने के कारण मैंने दोबारा बड़ी चोरी करने का प्लान बनाया और धर्मपुर क्षेत्र में चोरी की घटना को अंजाम दे डाला। आरोपी की निशानदेही पर पुलिस ने नब्बे हजार की नगदी व चोरी में प्रयुक्त औजार भी बरामद कर लिए है।

हैडलूम एक्सपो में लोग मनपसंद समान खरीदने को उमड़ रहे

देहरादून। परेड मैदान में चल रहे हैंडलूम एक्सपो में लोग बड़ी संख्या में खरीदारी करने के लिए पहुंच रहे हैं। यह हैंडलूम एक्सपो 12 जनवरी तक चलेगा। हैंडलूम एक्सपो को लेकर दूनवासियों में खासा उत्साह बना हुआ है, लोग एक्सपो में पहुंचकर अपनी मनपसंद चीजों को खरीद रहे हैं।
कहीं बच्चे खिलौने खरीदकर खुश नजर आ रहे हैं, तो कहीं महिलायंे साड़ी के स्टालों पर भीड़ जमाये खड़ी हैं, बुक्स स्टॉल पर भी अलग ही भीड़ देखने को मिल रही है। लोग अपने मन पसंद चीजों की खरीदारी कर बहुत ही खुश नजर आ रहे है। मौसम साफ होने के कारण लोगों के चेहरे पर एक अलग ही खुशी है और वह इस मेले में आकर खूब खरीदारी कर रहे हैं। मेले में भीड़ इतनी है कि लोग दुकानों पर लाइन लगाकर खड़े हैं। बच्चे से लेकर बूढ़े तक सब मेले का लुत्फ उठा रहे हंै। मेले में इतने प्रकार के स्टॉल लगे है कि आप पूरा दिन बिता दें फिर भी आपको मेला कम पड़ जाए। घर सुसज्जा का सामान से लेकर सभी प्रकार के उत्पाद यहाँ उपलब्ध हंै। खाने के स्टॉलों पर लोगों की खूब भीड़ लग रही है और लोग अपने मनपंसद के व्यंजनों का लुत्फ उठा रहे हैं। यह मेला 25 दिसंबर से शुरु हुआ था और 12 जनवरी तक चलेगा। इस मौके पर उद्योग विभाग की उप निदेशक शैली डबराल, मेला अधिकारी के.सी. चमोली, जगमोहन बहुगुणा, कुँवर सिंह बिष्ट, गिरीश चन्द्र, कहकशा, मीडिया कोर्डिनेटर किशोर रावत आदि मौजूद रहे।

धन सिंह रावत ने ली उच्च शिक्षा विभाग की बैठक 

देहरादून। उच्च शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डाॅ0 धन सिंह रावत ने विधान सभा स्थित कार्यालय कक्ष में उच्च शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक की। शासन स्तर की समीक्षा में डाॅ0 धन सिंह रावत ने निर्देश दिया कि 19 महाविद्यालयों के कार्य अपूर्ण हैं, सम्बन्धित अपूर्ण कार्य 31 मार्च, 2020 तक पूर्ण कर लिया जाए। इस संबंध में सचिव उच्च शिक्षा को निर्देश दिया कि महाविद्यालयों के प्राचार्यों, नियोजन विभाग एवं वित्त विभाग की एक बैठक बुला ली जाए। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा में 877 पदों के लिए अधियाचन भेजा गया था। न्यायालय का रास्ता खुलने के बाद रिक्त पदों पर शीघ्र नियमित एसिस्टेंड प्रोफेसरों की नियुक्ति कर दी जायेगी।
बैठक में कहा गया कि जिन महाविद्यालयों में पद स्वीकृत हैं, किन्तु छात्र नहीं हैं उन पदों को आवश्यकतानुसार अन्य महाविद्यालयों में भेजा जाए। इसके अलावा 17 महाविद्यालयों में स्ववित्त पोषित गवर्निंग बाॅडी की बैठक भी आयोजित करने का निर्देश दिया। इस अवसर पर सचिव उच्च शिक्षा अशोक कुमार, संयुक्त सचिव एम.एन. सेमवाल और संयुक्त निदेशक उच्च शिक्षा कुमकुम रौंतेला इत्यादि अधिकारी मौजूद थे।

धन सिंह रावत ने ली उच्च शिक्षा विभाग की बैठक 

देहरादून। उच्च शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डाॅ0 धन सिंह रावत ने विधान सभा स्थित कार्यालय कक्ष में उच्च शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक की। शासन स्तर की समीक्षा में डाॅ0 धन सिंह रावत ने निर्देश दिया कि 19 महाविद्यालयों के कार्य अपूर्ण हैं, सम्बन्धित अपूर्ण कार्य 31 मार्च, 2020 तक पूर्ण कर लिया जाए। इस संबंध में सचिव उच्च शिक्षा को निर्देश दिया कि महाविद्यालयों के प्राचार्यों, नियोजन विभाग एवं वित्त विभाग की एक बैठक बुला ली जाए। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा में 877 पदों के लिए अधियाचन भेजा गया था। न्यायालय का रास्ता खुलने के बाद रिक्त पदों पर शीघ्र नियमित एसिस्टेंड प्रोफेसरों की नियुक्ति कर दी जायेगी।
बैठक में कहा गया कि जिन महाविद्यालयों में पद स्वीकृत हैं, किन्तु छात्र नहीं हैं उन पदों को आवश्यकतानुसार अन्य महाविद्यालयों में भेजा जाए। इसके अलावा 17 महाविद्यालयों में स्ववित्त पोषित गवर्निंग बाॅडी की बैठक भी आयोजित करने का निर्देश दिया। इस अवसर पर सचिव उच्च शिक्षा अशोक कुमार, संयुक्त सचिव एम.एन. सेमवाल और संयुक्त निदेशक उच्च शिक्षा कुमकुम रौंतेला इत्यादि अधिकारी मौजूद थे।